1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच जरूर कुछ गंभीर बात हुई... उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफा के बाद कांग्रेस नेता ने सवाल उठाए
कांग्रेस ने कहा कल दोपहर 12:30 बजे जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की BAC की अध्यक्षता की। इस बैठक में सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत ज्यादातर सदस्य मौजूद थे।;
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफा के बाद से ही देश की राजनीति में अचानक गरमाहट आ गई है। धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा दिया। वहीं इस मामले में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सवाल उठाए हैं और सोमवार को उपराष्ट्रपति के साथ फोन पर बातचीत से लेकर मंगलवार को होने वाली बैठक तक का शेड्यूल बताया है।
जयराम रमेश ने यह कहा
बता दें कि जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए लिखा कि कल दोपहर 12:30 बजे जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (BAC) की अध्यक्षता की। इस बैठक में सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत ज्यादातर सदस्य मौजूद थे। थोड़ी देर की चर्चा के बाद तय हुआ कि समिति की अगली बैठक शाम 4:30 बजे फिर से होगी। शाम 4:30 बजे धनखड़ की अध्यक्षता में समिति के सदस्य दोबारा बैठक के लिए इकट्ठा हुए। वहीं उनका कहना है कि सभी नड्डा और रिजिजू का इंतजार करते रहे, लेकिन वे नहीं आए। सबसे हैरानी की बात यह थी कि धनखड़ को व्यक्तिगत रूप से यह नहीं बताया गया कि दोनों मंत्री बैठक में नहीं आएंगे। स्वाभाविक रूप से उन्हें इस बात का बुरा लगा और उन्होंने BAC की अगली बैठक आज दोपहर 1 बजे के लिए टाल दी।
1 बजे से लेकर शाम 4:30 बजे के बीच जरूर कुछ गंभीर बात हुई
उन्होंने कहा कि इससे साफ है कि कल दोपहर 1 बजे से लेकर शाम 4:30 बजे के बीच जरूर कुछ गंभीर बात हुई है, जिसकी वजह से जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू ने जानबूझकर शाम की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। अब एक बेहद चौंकाने वाला कदम उठाते हुए जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इसकी वजह अपनी सेहत को बताया है। हमें इसका मान रखना चाहिए, लेकिन सच्चाई यह भी है कि इसके पीछे कुछ और गहरे कारण हैं।
धनखड़ ने किसानों के हितों के लिए खुलकर आवाज उठाई
हालांकि कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि धनखड़ ने हमेशा 2014 के बाद के भारत की तारीफ की, लेकिन साथ ही किसानों के हितों के लिए खुलकर आवाज उठाई। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में बढ़ते ‘अहंकार’ की आलोचना की और न्यायपालिका की जवाबदेही और संयम की जरूरत पर जोर दिया। मौजूदा G2 सरकार के दौर में भी उन्होंने जहां तक संभव हो सका, विपक्ष को जगह देने की कोशिश की।
उन लोगों की नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है
बता दें कि जयराम रमेश ने कहा कि वह नियमों, प्रक्रियाओं और मर्यादाओं के पक्के थे, लेकिन उन्हें लगता था कि उनकी भूमिका में लगातार इन बातों की अनदेखी हो रही है। जगदीप धनखड़ का इस्तीफा उनके बारे में बहुत कुछ कहता है। साथ ही, यह उन लोगों की नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है, जिन्होंने उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचाया था।