हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: इस्लाम में पुरुष के लिए दूसरी या उससे अधिक शादी नहीं होगी आसान! माननी पड़ेगी यह शर्त

अपनी अपील में पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसके शोहर ने उसे तलाक देने की धमकी दी और फिर से शादी का प्लान बना रहा था।;

Update: 2025-09-20 08:54 GMT

तिरुवनन्तपुरम। केरल हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ एक से अधिक शादियों की अनुमति देता है। लेकिन व्यक्ति दूसरी या तीसरी पत्नी का भरण-पोषण करने के काबिल हो, अन्यथा उसे निकाह करने का अधिकार नहीं है। इसी सिलसिले में हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी शादियां अक्सर मुस्लिम पर्सनल लॉ के बारे में शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण होती हैं। जब पति अपनी पत्नियों का भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं होता, तो अदालतें लगातार शादियों को मान्यता नहीं दे सकतीं।

जस्टिस पी. वी. कुन्हीकृष्णन ने सामाजिक कल्याण विभाग को पलक्कड़ के एक अंधे आदमी को काउंसलिंग देने का निर्देश दिया। यह आदमी भीख मांगकर अपना जीवन चलाता है। कोर्ट चाहता है कि उसे तीसरी शादी करने से रोका जाए।

क्या था पूरा मामला?

जानकारी के मुताबिक मलप्पुरम निवासी उस व्यक्ति की दूसरी पत्नी ने पारिवारिक अदालत द्वारा उसके भरण-पोषण के दावे को खारिज किए जाने को चुनौती दी थी। उसने आरोप लगाया था कि वह शुक्रवार को मस्जिदों के बाहर भीख मांगकर लगभग 25,000 रुपये प्रति माह कमाता है, लेकिन पारिवारिक अदालत ने यह कहते हुए उसका दावा खारिज कर दिया कि एक भिखारी को भरण-पोषण देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

क्या बोली पीड़िता?

बता दें कि अपनी अपील में पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसके अंधे शोहर ने उसे तलाक देने की धमकी दी और फिर से शादी का प्लान बना रहा था। अदालत ने शारीरिक हमले के आरोप को स्वीकार नहीं किया, यह तर्क देते हुए कि जब तक वह इसके लिए तैयार नहीं होती, तब तक ऐसा होने की संभावना नहीं है, अदालत ने कहा कि जिस व्यक्ति के पास दो और पत्नियों का भरण-पोषण करने के साधन नहीं हैं, वह दोबारा शादी नहीं कर सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्नी ने खुद उस आदमी से तब शादी की थी, जब उसकी पहली शादी चल रही थी।

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