इस बार दो दिन है निर्जला एकादशी, जानें एकादशी के लिए किस दिन है शुभ मुहूर्त

Update: 2025-06-05 14:00 GMT

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का बड़ा महत्व है। सभी 24 एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी व्रत को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति निर्जला एकादशी व्रत रखता है, उसे सभी 24 एकादशी व्रतों का फल प्राप्त हो जाता है। खास बात ये है कि इस साल 2 दिन निर्जला एकादशी व्रत रखा जाएगा। 6 जून का दिन धार्मिक दृष्टि से बेहद खास है। इस दिन व्यतीपात, रवि योग और हस्त नक्षत्र जैसे महत्वपूर्ण ग्रह-नक्षत्र बन रहे हैं। आइये जानते हैं निर्जला एकादशी व्रत की डेट, शुभ योग, मुहूर्त क्या है और क्या करें, क्या न करें।

जानें निर्जला एकादशी का महत्व

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार निर्जला एकादशी का बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। चूंकि निर्जला एकादशी शुक्ल पक्ष के दौरान आती है, इसलिए इसे ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी भी कहा जाता है। निर्जला व्रत व्रत बिना भोजन या पानी के रखा जाता है। द्वादशी तिथि पर, भक्तों को अपना उपवास तोड़ने के बाद केवल पानी पीने की अनुमति होती है। सबसे कठोर और पूजनीय व्रतों में से एक है निर्जला एकादशी। भक्त भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हैं और अत्यधिक भक्ति और शुद्ध समर्पण के साथ इस व्रत का पालन करते हैं।

क्या करें

- निर्जला एकादशी के दिन पीपल और आंवले के पेड़ में जल अर्पित करें और जरुरतमंदों को यथाशक्ति दान देना चाहिए।

- सुहागिनें इस दिन पीपल पर 7 बार परिक्रमा कर कच्चा सूत लपेटें, ये वैवाहिक जीवन में सुख शांति लाता है।

क्या न करें

- निर्जला एकादशी पर गाय या किसी भी पशु को बासी खाना न खिलाएं।

- तुलसी में जल न चढ़ाएं। इससे दोष लगता है।

निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि की शुरुआत 6 जून को अर्धरात्रि में 2 बजकर 15 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, 6 जून को ही निर्जला एकादशी मनाई जाएगी।

क्यों मनाई जाती है निर्जला एकादशी?

हिंदू धर्मग्रंथों में यह माना जाता है कि पांडवों में से एक भीम ने एक बार सभी एकादशियों पर उपवास करने का फैसला किया था, लेकिन वह अपनी भूख को नियंत्रित करने में असमर्थ थे और सलाह के लिए ऋषि व्यास के पास गए, तब उन्होंने उन्हें साल भर में आने वाली सभी 24 एकादशियों का लाभ पाने के लिए निर्जला एकादशी व्रत रखने का सुझाव दिया। इसी कारण से इस एकादशी को भीमसेन एकादशी, भीम एकादशी और पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

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