आखिर क्यों छोटी दिवाली को कहा जाता है नरक चतुर्दशी? जानें क्या है पौराणिक कथा
नई दिल्ली। 2025 में छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं, 19 और 20 अक्टूबर दोनों दिन मनाई जाएगी। इस त्यौहार के अलग-अलग नाम हैं, जैसे रूप चौदस, काली चौदस और भूत चतुर्दशी। यह दीपावली के पांच दिवसीय पर्व का एक महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन को अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, नरकासुर नाम का एक अत्यंत क्रूर राक्षस था। उसने 16,000 महिलाओं को बंदी बना लिया था और देवताओं तथा संतों को बहुत परेशान करता था।
नरक चतुर्दशी का महत्व
नरकासुर का वध- पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने इसी दिन राक्षस नरकासुर का वध करके 16 हजार कन्याओं को उसकी कैद से मुक्त कराया था। इसी खुशी में दीए जलाए गए थे।
यमराज की पूजा- इस दिन यमराज की पूजा और यम के नाम का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और लंबी आयु का वरदान मिलता है।
सौंदर्य प्राप्ति- इसे 'रूप चौदस' भी कहा जाता है, और मान्यता है कि इस दिन अभ्यंग स्नान करने से सौंदर्य और आकर्षण में वृद्धि होती है।
मां काली की पूजा- नरक चतुर्दशी को काली चौदस भी कहते हैं। कुछ स्थानों पर मां काली की पूजा की जाती है ताकि सभी संकट दूर हों।
क्या है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भौमासुर अर्थात नरकासुर नामक एक राक्षस ने तीनों लोकों में हाहाकार मचाया हुआ था। मनुष्यों से लेकर देवता तक उसके अत्याचारों से परेशान थे। नरकासुर को यह श्राप मिला हुआ था कि उसकी मृत्यु केवल किसी स्त्री के हाथों ही होगी, इसलिए उसने लगभग 16 हजार कन्याओं का हरण कर लिया। इस स्थिति से निपटने के लिए इंद्रदेव, भगवान श्रीकृष्ण से सहायता मांगने पहुंचे।
सत्यभामा ने दिया साथ
इंद्रदेव की प्रार्थना स्वीकार करते हुए, भगवान श्रीकृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ नरकासुर का वध करने निकल गए। उन्होंने सत्यभामा को अपना सारथी बनाया और उनकी सहायता से नरकासुर का वध कर दिया। इसके बाद श्रीकृष्ण और सत्यभामा ने राक्षस की कैद से 16100 कन्याओं को मुक्त करवाया। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नकारासुर का वध कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर ही किया गया था। इसलिए हर साल इस तिथि को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है, जिसे हम सभी छोटी दीवाली के रूप में जानते हैं।
पूजा विधि
1. अभ्यंग स्नान- सुबह जल्दी उठकर, सूर्योदय से पहले शरीर पर सुगंधित तेल लगाकर स्नान करें।
2. यम का दीपक- शाम को यमराज के लिए घर के बाहर दक्षिण दिशा में एक चौमुखी दीपक जलाया जाता है, जिससे परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।
3. हनुमान जी की पूजा- कुछ लोग इस दिन हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करके पूजा करते हैं और उन्हें भोग लगाते हैं।
4. मां काली की पूजा- तंत्र साधना के लिए मां काली की उपासना भी की जाती है।