क्यों मनाया जाता है छठ का महापर्व? जानें सूर्य देव और छठी मैया से क्या है संबंध
नई दिल्ली। छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह चार दिनों का पर्व आस्था, आत्मसंयम और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। इस पर्व में संतान की लंबी आयु, परिवार की सुख-समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए व्रत किया जाता है।
सूर्य देव और छठी मैया से संबंध
छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व है, और इनके बीच कई पौराणिक संबंध हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैया को भगवान सूर्य की बहन माना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, छठी मैया को वेदों में ऊषा के नाम से जाना जाता है। यह माना जाता है कि सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए उनकी बहन छठी मैया की पूजा की जाती है। छठी मैया को 'संतान की देवी' के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि जो व्रती सच्चे मन से छठी मैया का व्रत करते हैं, उन्हें संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है और उनके बच्चों की रक्षा होती है।
पौराणिक कथा
एक कथा के अनुसार, राजा प्रियंवद संतान न होने से दुखी थे। महर्षि कश्यप के कहने पर उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया, लेकिन रानी को मरा हुआ पुत्र मिला। जब राजा आत्महत्या करने लगे, तो उसी समय ब्रह्मा जी की मानस पुत्री षष्ठी देवी प्रकट हुईं और उन्होंने राजा को छठी मैया की पूजा करने का उपदेश दिया। देवी के आशीर्वाद से राजा को तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ।
छठ पर्व क्यों मनाया जाता है?
छठ पूजा मनाने के कई कारण हैं, जिनमें पौराणिक कथाएं और प्रकृति के प्रति सम्मान दोनों शामिल हैं।
पांडवों से जुड़ी कथा- महाभारत के अनुसार, जब पांडवों को कठिन समय का सामना करना पड़ा, तो माता द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से पांडवों के कष्ट दूर हुए और उन्हें उनका खोया हुआ राज्य वापस मिला।
राम-सीता से जुड़ी कथा- रामायण में एक कथा के अनुसार, भगवान राम और माता सीता ने लंका से लौटने के बाद कार्तिक मास में सूर्य देव की पूजा की थी।
प्रकृति के प्रति आभार- छठ पूजा प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है। इसमें सूर्य देव की पूजा की जाती है, जो जीवन, ऊर्जा और प्रकृति का स्रोत हैं।
सामुदायिक सद्भाव- यह त्योहार सामुदायिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ावा देता है, क्योंकि इसमें विभिन्न समुदायों के लोग एक साथ पूजा करते हैं। इस तरह, छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मैया के प्रति आस्था, प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और संतान की सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है।