भारत में बढ़ रही इस विटामिन की कमी, शाकाहारियों को ज्यादा खतरा, जानें समाधान

Update: 2025-12-06 13:00 GMT

नई दिल्ली। भारत में लगभग 47% लोगों में विटामिन बी12 (B12) की कमी पाई गई है, और न्यूरोलॉजिस्ट के अनुसार, शाकाहारियों में इसका खतरा अधिक होता है। बता दें कि विटामिन बी12 एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो आपके शरीर को तंत्रिका कोशिकाओं और लाल रक्त कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह आपके शरीर को डीएनए बनाने में भी मदद करता है।

शाकाहारियों को अधिक खतरा क्यों?

एम्स (AIIMS) दिल्ली के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सहरावत ने बताया है कि शुद्ध शाकाहारी लोगों में विटामिन बी12 की कमी स्वाभाविक है, क्योंकि पौधे इस पोषक तत्व का उत्पादन नहीं करते हैं। विटामिन बी12 मुख्य रूप से पशु-आधारित खाद्य पदार्थों (जैसे मांस, मछली, अंडे और डेयरी उत्पाद) में पाया जाता है।

विटामिन बी12 क्यों महत्वपूर्ण है?

तंत्रिका स्वास्थ्य: यह तंत्रिकाओं के समुचित कार्य और माइलिन शीथ ( myelin sheath) के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है, जो तंत्रिका तंतुओं की रक्षा करती है।

लाल रक्त कोशिका निर्माण: यह स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है, जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाती हैं।

डीएनए संश्लेषण: यह डीएनए (DNA) बनाने के लिए भी आवश्यक है।

कमी के लक्षण

विटामिन बी12 की कमी से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें न्यूरोसाइकिएट्रिक और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं शामिल हैं। शुरुआती लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है ताकि गंभीर या दीर्घकालिक क्षति से बचा जा सके।

आहार के माध्यम से समाधान

विटामिन B12 मुख्य रूप से पशु-आधारित उत्पादों में पाया जाता है। इसे बढ़ाने के लिए अपने आहार में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को शामिल करें:

मांस और समुद्री भोजन: चिकन, बीफ़, सैल्मन, टूना और शंख।

डेयरी उत्पाद: दूध, दही और पनीर।

अंडे: विशेष रूप से अंडे की जर्दी।

फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ: कुछ नाश्ते के अनाज और गैर-डेयरी दूध में भी विटामिन B12 मिलाया जाता है।

अन्य स्रोत: शाकाहारी लोग फर्मेंटेड खाद्य पदार्थ जैसे इडली, डोसा, ढोकला और दही को भी अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं, क्योंकि इनमें कुछ मात्रा में B12 होता है।

2. सप्लीमेंट्स और दवाएं

यदि आहार से पर्याप्त मात्रा नहीं मिल रही है, या शरीर में अवशोषण की समस्या है, तो डॉक्टर सप्लीमेंट्स की सलाह दे सकते हैं।

मौखिक सप्लीमेंट्स: टैबलेट, कैप्सूल या लिक्विड ड्रॉप्स के रूप में सप्लीमेंट्स उपलब्ध हैं, जिनमें अक्सर मिथाइलकोबालामिन (Methylcobalamin) जैसे सक्रिय रूप होते हैं।

इंजेक्शन: गंभीर कमी या अवशोषण संबंधी समस्याओं (जैसे परनिशियस एनीमिया) वाले लोगों के लिए, विटामिन B12 के इंजेक्शन (हाइड्रोक्सोकोबालामिन) निर्धारित किए जा सकते हैं। शुरुआत में ये इंजेक्शन नियमित रूप से दिए जाते हैं, और बाद में महीने में एक बार लगाए जा सकते हैं।

नेज़ल स्प्रे: कुछ मामलों में नेज़ल स्प्रे भी एक विकल्प हो सकता है।

3. जीवन शैली में परिवर्तन

शराब का सेवन कम करें: अत्यधिक शराब का सेवन पेट की परत को नुकसान पहुंचा सकता है और विटामिन B12 के अवशोषण में बाधा डाल सकता है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: संतुलित आहार के साथ त्रिफला चूर्ण का उपयोग आंतों की अवशोषण क्षमता को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है

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