दिवाली पर दिल्ली की हवा हुई जहरीली, 38 में से 34 निगरानी केंद्र ‘रेड जोन’ में, कई इलाकों में AQI 400 पार

38 में से 34 निगरानी केंद्र ‘रेड जोन’ में दर्ज किए गए, जबकि चार स्थानों पर AQI 400 के पार चला गया।;

By :  DeskNoida
Update: 2025-10-20 19:30 GMT

दिवाली की रोशनी के बीच राजधानी दिल्ली की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई। सोमवार को शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी तक पहुंच गया। 38 में से 34 निगरानी केंद्र ‘रेड जोन’ में दर्ज किए गए, जबकि चार स्थानों पर AQI 400 के पार चला गया।

पर्यावरण विभाग के अनुसार, दिवाली के दिन दिल्ली का औसत AQI 345 दर्ज किया गया, जो पिछले दिन 326 था। सबसे खराब स्थिति वाज़ीरपुर, द्वारका, आशोक विहार और आनंद विहार में रही, जहां AQI क्रमशः 423, 417, 404 और 404 दर्ज हुआ। ये सभी ‘गंभीर श्रेणी’ में आते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार प्रदूषण बढ़ने के पीछे कई कारण हैं — पटाखों का उपयोग, वाहनों से उत्सर्जन, औद्योगिक धुआं, निर्माण कार्य, और मौसम का प्रभाव। हवाओं की गति कम रहने और तापमान गिरने से प्रदूषक हवा में फंस गए, जिससे शहर पर स्मॉग की परत छा गई।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल वाहनों से होने वाले प्रदूषण का हिस्सा लगभग 15.6 प्रतिशत और उद्योगों व अन्य स्रोतों से 23 प्रतिशत रहा। इसके अलावा, पराली जलने का धुआं भी उत्तर-पश्चिमी हवाओं के साथ दिल्ली-एनसीआर की ओर पहुंचा, जिसने स्थिति को और खराब कर दिया।

हालांकि, कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने पहले ही GRAP स्टेज-2 लागू कर दी थी, लेकिन दिवाली की रात प्रदूषण नियंत्रण के सारे प्रयास नाकाम नजर आए। सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे अनावश्यक वाहन उपयोग कम करें, निर्माण गतिविधियों में सावधानी बरतें और पटाखों का प्रयोग पूरी तरह से न करें।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणी की हवा सभी के लिए हानिकारक है। बच्चों, वृद्धों और सांस या हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। लंबे समय तक ऐसी हवा में रहने से खांसी, गले में जलन, सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

पर्यावरणविदों का कहना है कि अगर स्थिति पर जल्द नियंत्रण नहीं पाया गया, तो आने वाले 48 घंटे में दिल्ली की हवा गैस चेंबर में बदल सकती है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे — जैसे औद्योगिक उत्सर्जन पर निगरानी, वाहनों के लिए ‘ऑड-ईवन’ सिस्टम, और निर्माण स्थलों पर तुरंत धूल नियंत्रण।

दिवाली के दिन जब पूरे देश में लोग खुशियां मना रहे थे, तब दिल्ली के आसमान में धुआं, धुंध और प्रदूषण का साया था। अब सवाल यही है कि क्या आने वाले दिनों में राजधानी फिर से सांस ले पाएगी?

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