बिहार में पहले चरण के रिकार्ड तोड़ वोटिंग से एनडीए को हो सकता नुकसान, जानें कैसे
बिहार में इस बार सबसे अधिक वोटिंग हुई है।;
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण कल यानी गुरुवार हो गया। इस दिन18 जिलों की 121 सीटों पर मतदान हुए, जिनमें 64.66 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया। वहीं, यदि वोटे के प्रतिशत की बात करें तो यह पिछले चुनाव से लगभग 8.5 प्रतिशत अधिक हुआ। लेकिन इस तरह के आंकड़े संप्रग सरकार को सोचने पर मजबूर कर सकती है।
बिहार में पहले चरण का चुनाव रहा अनोखा
बिहार के लिए पहले चरण का चुनाव अनोखा माना जा रहा है, क्यों कि इस बार सबसे अधिक वोटिंग हुई है। साल 2020 से तुलना करें तो पहले चरण में 56.1 प्रतिशत मतदान हुआ था, लेकिन उस वक्त पहले फेज में 71 सीटों के लिए मतदान हुआ था, लेकिन इस बार 121 सीटों पर वोटिंग हुई।
कहां कितनी हुई वोटिंग
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर वोटिंग हुई, जिसमें मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर जिले में सबसे अधिक मतदान रहा तो पटना में सबसे कम वोटिंग हुई है। मुजफ्फरपुर में 70.96 फीसदी, समस्तीपुर में 70.63 फीसदी, मधेपुरा में 67.21 फीसदी, वैशाली में 67.37 प्रतिशत हुआ। सहरसा में 66.84 फीसदी, खगड़िया में 66.36 फीसदी, लखीसराय में 65.05 फीसदी, मुंगेर में 60.40 फीसदी, सीवान में 60.31 फ़ीसदी, नालंदा में 58.91 फीसदी और पटना जिले में 57.93 प्रतिशत वोटिंग हुई। इस तरह से बिहार के पहले चरण में 64.69 फीसदी कुल मतदान रहा।
मतदान प्रतिशत का सीधा प्रभाव पड़ता है रिजल्ट पर
चुनाव आयोग के आंकड़े साबित करते हैं कि इस बार बिहार चुनाव के पहले चरण में 64.66 प्रतिशत मतदान हुए हैं। ऐसे कहते हैं कि मतदान प्रतिशत का सीधा प्रभाव रिजल्ट पर पड़ता है। वहीं, यदि पैटर्न का आकलन करें तो जब भी 5 प्रतिशत से अधिक वोटिंग बढ़ी है, इस समय सरकार बदल गई है।
आंकड़े का प्रतिशत का आकलन
यदि पिछले आंकड़े के प्रतिशत का आकलन करें तो 1962 में 44.5 प्रतिशत वोटिंग हुई थी और 1967 में 51.5 प्रतिशत मतदान हुआ। इस तरह से 7 प्रतिशत वोट में वृद्धि होने से कांग्रेस की सरकार हट गई थी। इसी तरह से 1980 में 57.3 प्रतिशत मतदान हुए थे, जबकि 1977 में 50.5 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। इन चुनावों के बीच 6.8 प्रतिशत का अंतर था, तब भी सरकार बदल गई थी।