संभल जामा मस्जिद विवाद में नई खींचतान, सदर और सेक्रेटरी आमने-सामने

मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली एडवोकेट ने मोहम्मद काशिफ को बाहरी व्यक्ति बताते हुए आरोप लगाया कि वह कमेटी का वैध सदस्य नहीं है और फर्जी ट्रस्ट चलाकर धन उगाही करता है।;

By :  DeskNoida
Update: 2025-11-17 21:30 GMT

यूपी के संभल में जामा मस्जिद परिसर में एएसआई टीम से अभद्रता के मामले ने अब मस्जिद कमेटी के भीतर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। एएसआई मेरठ मंडल की टीम के साथ हुई बदसलूकी के बाद जब पुलिस ने कार्रवाई शुरू की, तो कमेटी के सदर और सेक्रेटरी के बीच चल रहा तनाव सामने आ गया। मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली एडवोकेट ने मोहम्मद काशिफ को बाहरी व्यक्ति बताते हुए आरोप लगाया कि वह कमेटी का वैध सदस्य नहीं है और फर्जी ट्रस्ट चलाकर धन उगाही करता है। उनका कहना है कि मस्जिद प्रशासन का काशिफ से कोई संबंध नहीं है।

दूसरी ओर, मोहम्मद काशिफ ने खुद को मस्जिद कमेटी का सेक्रेटरी बताते हुए एक पत्र सार्वजनिक किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक लाभ के लिए उन पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। काशिफ ने कहा कि जामा मस्जिद सर्वे के बाद हुई हिंसा से जुड़ी याचिका हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने ही दाखिल की थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके ट्रस्ट के खाते में कोई पैसा नहीं है और वह अपना पूरा खाता विवरण सार्वजनिक करने को तैयार हैं।

इस विवाद के बीच एएसआई की तहरीर पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी हफीज को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। वहीं मोहम्मद काशिफ के खिलाफ भी अभद्रता का मुकदमा दर्ज किया गया है। कमेटी के दो गुट अब एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, जिससे विवाद और गहरा हो गया है।

दिलचस्प बात यह है कि मोहम्मद काशिफ 2022 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें केवल 455 वोट मिले थे जबकि नोटा को उनसे अधिक 1204 वोट प्राप्त हुए थे। अब इस पूरे विवाद ने मस्जिद कमेटी की अंदरूनी राजनीति को भी खुलकर सामने ला दिया है। अदालत में आगे की कार्रवाई से ही मामले की सच्चाई स्पष्ट हो सकेगी।

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