दिल्ली में अगर दो घंटे बारिश हो जाए तो पूरा शहर लकवाग्रस्त हो जाता है... CJI बी आर गवई ने की तीखी टिप्पणी! जानें किस केस की सुनवाई के दौरान ऐसा कहा

Update: 2025-08-18 08:49 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली में बरसात से होने वाले हालात पर CJI बी आर गवई ने तीखी टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली में आप जानते हैं कि क्या होता है। अगर दो घंटे बारिश हो जाए तो पूरा शहर लकवाग्रस्त हो जाता है। वहीं उन्होंने ट्रैफिक जाम की समस्या को भी गंभीर बताया। सुप्रीम कोर्ट ने केरल के एक हाईवे पर 12 घंटे लगे जाम पर भी सवाल उठाया।

खराब हालत के कारण टोल वसूली को निलंबित कर दिया था

बता दें कि कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को सड़क के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचने में 12 घंटे लगते हैं, तो वो टोल क्यों दे। CJI गवई ने ये टिप्पणी केरल के त्रिशूर जिले में NH 544 के एक टोल प्लाजा के मामले में सुनवाई के दौरान की। दरअसल हाईकोर्ट ने हाईवे की खराब हालत के कारण टोल वसूली को निलंबित कर दिया था। केरल हाईकोर्ट के इस फैसले को NHAI ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

12 घंटे तक यातायात बाधित रहा

सुप्रीम कोर्ट ने NHAI की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने पिछले हफ्ते इस हाइवे 12 घंटे से ज्यादा समय तक लगे भारी यातायात जाम का बार-बार जिक्र किया। जस्टिस चंद्रन ने NHAI से कहा कि आपने कल का अखबार देखा -12 घंटे तक यातायात बाधित रहा। SG तुषार मेहता ने कहा कि यह एक्ट ऑफ गॉड था, एक लॉरी गिर गई थी। जस्टिस चंद्रन ने कहा कि लॉरी अपने आप नहीं गिरी। वह एक गड्ढे में गिर गई और पलट गई।

आनुपातिक रूप से टोल में कमी होनी चाहिए

बता दें कि एसजी ने कहा कि NHAI ने उन जगहों पर वैकल्पिक रास्तों के तौर पर सर्विस रोड का निर्माण किया है, जहां अंडरपास का निर्माण चल रहा है। हालांकि, मानसून के कारण निर्माण कार्य प्रभावित हुआ। इस मौके पर, मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने पूछा कि 65 किलोमीटर के इस हिस्से के लिए टोल की कीमत क्या है। मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि अगर किसी व्यक्ति को सड़क के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचने में 12 घंटे लगते हैं, तो उसे 150 रुपये क्यों देने चाहिए? जिस सड़क पर एक घंटा लगने की उम्मीद है, उसमें 11 घंटे और लग जाते हैं और उन्हें टोल भी देना पड़ता है। तब सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि एक फैसले में कहा गया है कि ऐसे मामले में, टोल न लगाने के बजाय, आनुपातिक रूप से टोल में कमी होनी चाहिए।

अगर यातायात होगा तो अधिकतम तीन घंटे लगेंगे

जस्टिस चंद्रन ने हल्के-फुल्के अंदाज में टिप्पणी की कि 12 घंटे के जाम के लिए, राष्ट्रीय राजमार्ग को यात्रियों को कुछ भुगतान करना चाहिए। अगर यातायात नहीं होगा तो इस हिस्से को तय करने में अधिकतम एक घंटा लगेगा। अगर यातायात होगा तो अधिकतम तीन घंटे लगेंगे। 12 घंटे के लिए आनुपातिक कटौती का कोई सवाल ही नहीं है।

यहां हमेशा ट्रैफिक होता है

SG तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने सड़क का एक वीडियो भी रखा। CJI गवई ने कहा कि कोस्टल एरिया में मानसून के दौरान हालात और भी खराब हो जाते हैं। मामले में पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट के ई गेट का हवाला दिया कि यहां हमेशा ट्रैफिक होता है। वकीलों को कोर्ट में जाने में घंटाभर लग जाता है। इस पर CJI गवई ने कहा कि दिल्ली की तो जानते हैं। अगर दो घंटे बारिश हो जाए तो पूरा शहर लकवाग्रस्त हो जाता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने केरल के मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया। 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केरल के त्रिशूर जिले के पलियेक्कारा टोल प्लाजा पर टोल वसूली स्थगित करने के केरल हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने के प्रति अनिच्छा जताई थी।

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