KASHI: गंगा की जलधारा सड़कों और गलियों से वापस घाटों की सीढ़ियों तक लौटने लगी लेकिन राहत नहीं, नमो घाट अब भी बंद, देखें तस्वीरों में काशी

वरुणा और अस्सी के पलट प्रवाह की गति पहले से कम हो गई फिर भी कोनिया, सामनेघाट, नक्खीघाट, नगवा, पिपरी और चिरईगांव आदि इलाकों में लोगों को अब भी राहत नहीं मिली है।;

Update: 2025-08-07 10:48 GMT

वाराणसी। देश के कई इलाकों में इस समय अत्यधिक जलस्तर से बाढ़ जैसे हालात हो रहे हैं। ऐसे में वाराणसी में नौ दिन तक लगातार पांच मीटर बढ़ने के बाद गंगा का जलस्तर कम होने लगा। अब हर घंटे दो सेंटीमीटर गंगा का पानी नीचे आ रहा है। साथ ही वरुणा और अस्सी के पलट प्रवाह की गति पहले से कम हो गई फिर भी लोगों को अब भी राहत नहीं मिली है।


वाराणसी में गंगा में उफान कम हुआ तो जलधारा सड़कों और गलियों से वापस घाटों की सीढ़ियों तक लौटने लगी है। गंगा बाबा विश्वनाथ मंदिर के गंगा द्वार से 12 सीढ़ी नीचे है। वहां ललिता घाट और दीवारें पूरी तरह से पानी में डूबी हैं।


नमो घाट लगातार तीसरे दिन भी बंद रहा। किसी भी पर्यटक या श्रद्धालुओं को आने-जाने नहीं दिया गया। राजघाट की सड़क पर लगा पानी पीछे हटकर वापस सीढ़ियों पर चला गया। घाटों पर मंदिरों के शिखर का कुछ हिस्सा दिखने लगा है।


मणिकर्णिका घाट की ओर से आया पानी अब गली में आश्रम के गेट से थोड़ा पीछे हो गया है। शवों को पानी के रास्ते नाव से ले जाकर छत पर अंत्येष्टि कराई जा रही। एक बार में 7-8 शव ही जल पा रहे हैं।


बता दें कि वाराणसी में नौ दिन तक लगातार पांच मीटर बढ़ने के बाद गंगा का जलस्तर कम होने लगा। अब हर घंटे दो सेंटीमीटर गंगा का पानी नीचे आ रहा है। साथ ही वरुणा और अस्सी के पलट प्रवाह की गति पहले से कम हो गई फिर भी कोनिया, सामनेघाट, नक्खीघाट, नगवा, पिपरी और चिरईगांव आदि इलाकों में लोगों को अब भी राहत नहीं मिली है। लगातार दूसरे दिन लंका और रामनगर को जोड़ने वाला सामनेघाट-रामनगर पुल चार पहिया वाहनों के लिए नहीं खोला गया।

50 हजार से ज्यादा लोग बाढ़ प्रभावित

जानकारी के मुताबिक 50 हजार से ज्यादा लोग बाढ़ की वजह से प्रभावित हैं। राहत आयुक्त कार्यालय की ओर से जारी बुलेटिन के मुताबिक, बुधवार को 38 परिवारों के 400 से ज्यादा बाढ़ प्रभावित शिविरों तक पहुंचाए गए। अब तक 823 परिवारों के आठ हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं। साथ ही लोगों को बीमारियों और दुश्वारियों के बढ़ने का डर सताने लगा है। 

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