पितरों के 'मुक्ति हेतु आज करें 'मोक्षदा एकादशी' का व्रत! जानें पूजा विधि और कथा के बारे में...

By :  Aryan
Update: 2025-12-01 02:30 GMT

आज यानी 1 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। ऐसे में व्रत का पारण 2 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 17 मिनट से 8 बजकर 25 मिनट के बीच करना शुभ होगा।

मोक्षदा एकादशी व्रत

मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। यह मार्गशीर्ष (अग्रहायण) मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। मार्गशीर्ष को अगहन माह भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण या विष्णु जी की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से न केवल व्रती को बल्कि उसके पितरों को भी मोक्ष प्राप्त होता है।

मोक्षदा एकादशी का महत्व

यह एकादशी शुभ और सद्गति देने वाली मानी जाती है। व्रत रखने से पितरों के कष्ट दूर होते हैं।

श्रीकृष्ण और विष्णु की कृपा से पापों का क्षय होता है। जीवन में सुख, शांति और आध्यात्मिक विकास प्राप्त होता है।

व्रत विधि (पूजन विधि)

1. प्रातः तैयारी

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

व्रत का संकल्प लें

मैं भगवान विष्णु की कृपा तथा मोक्ष प्राप्ति हेतु मोक्षदा एकादशी का व्रत कर रहा या रही हूं। 

2. पूजा

घर अथवा  मंदिर में भगवान विष्णु या कृष्ण का पूजन करें। तुलसी, पीले फूल, धूप, दीप, चंदन, नैवेद्य अर्पित करें। श्री विष्णु सहस्त्रनाम या ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें।

3. उपवास

सामान्यतः निर्जला या फलाहार व्रत रखा जाता है। तामसिक भोजन जैसे लहसुन-प्याज वर्जित हैं। रात को जागरण या भजन-कीर्तन का विशेष महत्व है।

4. परायण

मोक्षदा एकादशी की कथा सुनें। पापक्षालन हेतु गीता पाठ करना शुभ माना गया है।

5. द्वादशी का पारण

अगले दिन द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण करें। ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन और दान दें। तुलसी जल या फल से पारण करना उत्तम है।

मोक्षदा एकादशी की कथा (संक्षेप)

वृन्दावन में वासुदेव नामक राजा थे जिनके पिता पापों के कारण परलोक में कष्ट भोग रहे थे। ऋषि पार्वत के मार्गदर्शन से राजा ने मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा। व्रत के पुण्य से उनके पिता को मुक्ति तथा दिव्य लोक की प्राप्ति हुई। इसीलिए इस एकादशी को मोक्ष देने वाली कहा जाता है।

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