500 सालों का वो लंबा इंतजार जिसका हर सनातनी ने बेसब्री से बाट जोहा! जानें कैसे आया वो ऐतिहासिक दिन... जब राममय हुआ अयोध्या

Update: 2025-11-25 06:14 GMT

अयोध्या। 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर की आधारशिला रखी गई थी। 500 साल से अधिक पुराने कानूनी और सामाजिक विवाद के बाद, सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस मंदिर के लिए भूमि पूजन किया। राम मंदिर के बारे में कई कहानियां और किस्से हैं, जिनमें सबसे प्रमुख अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान पर मंदिर का निर्माण और उसके पीछे का 500 साल का संघर्ष है। इस संघर्ष में बाबरी मस्जिद का निर्माण, कानूनी लड़ाई, और 2024 में मंदिर का उद्घाटन शामिल है।

पृष्ठभूमि

यह विवाद 1528 में मुगल सम्राट बाबर के एक सिपहसालार मीर बाकी द्वारा एक मस्जिद (जिसे बाद में बाबरी मस्जिद कहा गया) के निर्माण से शुरू हुआ था, जो इस मान्यता पर आधारित था कि यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया गया था।

लंबे समय तक चला विवाद

मस्जिद 1992 तक मौजूद रही, जिसके बाद से हिंदू और मुस्लिम समूहों के बीच इस स्थान पर मालिकाना हक को लेकर सालों तक कानूनी लड़ाइयाँ और संघर्ष चले।

6 दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद का विध्वंस

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद और अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने बाबरी मस्जिद नामक विवादित ढांचे को गिरा दिया था। इस घटना के बाद, स्थल पर एक अस्थायी मंदिर बनाया गया था, जो कि राम मंदिर आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। इस घटना के कारण पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव और हिंसा बढ़ी थी। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की अनुमति दी, और अब वहां राम मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों के एक समूह ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। ध्वस्त ढांचे के स्थल पर एक अस्थायी मंदिर बनाया गया। इस घटना के बाद देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे।

कानूनी लड़ाई

1980 के दशक में यह मामला अदालत में पहुँचा और कई दशकों तक चला, जिसमें 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया।

विवाद का अंत

कई दशकों तक चले कानूनी संघर्ष के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 में फैसला सुनाया, जिसके बाद हिंदू समुदाय के पक्ष में मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। यह 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संभव हुआ कि अयोध्या की विवादित भूमि को भगवान राम की जन्मभूमि घोषित किया और वहां राम मंदिर के निर्माण की अनुमति दी।

ऐतिहासिक दिन

भूमि पूजन (5 अगस्त 2020): 5 अगस्त, 2020 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए भूमि पूजन किया, जो 491 वर्षों से अधिक समय से चले आ रहे संघर्ष और 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद से विवाद का एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष था।

प्राण प्रतिष्ठा समारोह (22 जनवरी 2024): भव्य मंदिर का उद्घाटन किया गया और रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा (अभिषेक) की गई, जो दुनिया भर के करोड़ों भक्तों के लिए एक ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण था।

निर्णय के मुख्य बिंदु:

⦁ न्यायालय ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि का मालिकाना हक 'रामलला विराजमान' (हिंदू देवता) को सौंप दिया, जिससे वहां राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ।

⦁ केंद्र सरकार को मंदिर निर्माण की देखरेख के लिए एक ट्रस्ट, 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' स्थापित करने का निर्देश दिया गया।

⦁ सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में एक अलग और प्रमुख स्थान पर मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक भूमि आवंटित करने का भी आदेश दिया गया। 

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