भारत के प्रथम गांव में है मां सरस्वती का मंदिर, पांडवों से जुड़ी है कथा, जानें क्या

Update: 2025-12-27 02:30 GMT

नई दिल्ली। माणा गांव (उत्तराखंड) में स्थित सरस्वती मंदिर हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र स्थल माना जाता है। यह बद्रीनाथ धाम से लगभग 3-4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माणा गांव न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए, बल्कि अपने गहरे आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। यह गांव कई मायनों में बेहद खास है। यह न सिर्फ खूबसूरत है, बल्कि एक ऐतिहासिक जगह भी है।

भारत का पहला गांव

माणा भारत-चीन सीमा के पास है और इसे आधिकारिक तौर पर 'भारत का पहला गांव' कहा जाता है, क्योंकि यह माणा दर्रे से पहले की आखिरी भारतीय बस्ती है।

सरस्वती नदी का उद्गम

यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जहाँ पवित्र सरस्वती नदी का उद्गम (निकास) होता है। माणा भारत का एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ इस नदी को सतह पर बहते हुए स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

पौराणिक कथा

मान्यता है कि जब महर्षि वेदव्यास इसी गाँव की व्यास गुफा में महाभारत की रचना कर रहे थे, तब सरस्वती नदी के तीव्र शोर के कारण उन्हें बाधा हो रही थी। उनके अनुरोध के बावजूद नदी का वेग कम नहीं हुआ। जिसके बाद उन्होंने नदी को श्राप दिया कि वह यहाँ के बाद विलुप्त हो जाएगी। इसी कारण माणा में कुछ दूरी तक बहने के बाद नदी केशव प्रयाग में अलकनंदा से मिलकर अदृश्य हो जाती है।

भीम पुल

मंदिर के बिल्कुल पास ही एक विशाल पत्थर का प्राकृतिक पुल है जिसे 'भीम पुल' कहा जाता है। कहा जाता है कि पांडवों के स्वर्गारोहण के दौरान सरस्वती नदी पार करने के लिए भीम ने इस पत्थर को रखा था।

स्वर्ग का द्वार

माणा को "स्वर्गारोहिणी" मार्ग का हिस्सा माना जाता है, जहाँ से पांडव स्वर्ग के लिए निकले थे।

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