भारत का ऐसा मंदिर जहां वेंकटेश्वर स्वामी के रूप में विराजमान है भगवान विष्णु, जानें क्यों कहलाता है पूर्व का तिरुपति

Update: 2025-11-02 02:30 GMT

अमरावती। आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में स्थित काशी बुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। यहां हर एकादशी पर देशभर से हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह दुनिया के सबसे धनी और सबसे ज्यादा देखे जाने वाले धार्मिक स्थलों में से एक है।

इतिहास

प्राचीन उत्पत्ति- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री वेंकटेश्वर (श्रीनिवास या बालाजी के नाम से भी जाने जाते हैं) ने लगभग पांच हजार साल पहले कलियुग में मानव जाति के उद्धार के लिए तिरुमाला की पहाड़ियों (जिन्हें 'टेम्पल ऑफ सेवन हिल्स' या सप्तगिरि भी कहा जाता है) पर निवास किया था।

राजवंशों का योगदान- इस मंदिर का इतिहास 9वीं शताब्दी में पल्लव राजवंश के समय से माना जाता है। बाद में, 11वीं शताब्दी में चोल और 14वीं-15वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के शासकों ने मंदिर के निर्माण और इसकी भव्यता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रसिद्ध संत रामानुज ने 12वीं शताब्दी में मंदिर के अनुष्ठानों को पुनर्गठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

स्वयंभू देवता- यह माना जाता है कि मंदिर में स्थापित भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति स्वयंभू (स्वयं प्रकट) है।

क्यों कहा जाता है “पूर्व का तिरुपति”

यह मंदिर तिरुपति बालाजी मंदिर की तरह ही पूजा पद्धति और परंपराओं का पालन करता है। इसी कारण इसे “पूर्व का तिरुपति” भी कहा जाता है। यहां भगवान वेंकटेश्वर के साथ देवी पद्मावती और भगवान विष्णु के अन्य रूपों की भी पूजा की जाती है। भक्तों का मानना है कि यहां दर्शन करने से वही पुण्य प्राप्त होता है, जो तिरुपति बालाजी में दर्शन करने से मिलता है।

महत्व

कलियुग के रक्षक: भक्तों का मानना है कि भगवान वेंकटेश्वर कलियुग की परेशानियों और परीक्षाओं से मानव जाति को बचाने के लिए पृथ्वी पर प्रकट हुए हैं।

धन और समृद्धि: यह मंदिर धन और संपत्ति के मामले में विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है और बड़ी संख्या में भक्त यहां दान करते हैं।

मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला: मंदिर की बहुत अधिक मान्यता है और माना जाता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

पवित्रता और वास्तुकला: मंदिर की अद्भुत स्थापत्य कला, पवित्रता और शांत वातावरण भक्तों को शांति और दिव्य अनुभव प्रदान करता है। इसे पृथ्वी का वैकुंठ भी माना जाता है।

कर्ज की कहानी: एक लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार, भगवान विष्णु ने देवी पद्मावती से विवाह करने के लिए धन के देवता कुबेर से भारी ऋण लिया था। माना जाता है कि भक्त भगवान को चढ़ावा चढ़ाकर इस ऋण को चुकाने में मदद करते हैं। भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु तिरुमाला आते हैं, जिससे यह आध्यात्मिकता और भक्ति का एक प्रमुख केंद्र बन जाता है। 

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