इलाहाबाद हाईकोर्ट के चार न्यायाधीशों का तबादला, दो पहुंचे दिल्ली, एक-एक को कर्नाटक और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 26 मई 2025 को इन चारों जजों के तबादलों की सिफारिश की थी, जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकार कर अधिसूचना जारी कर दी है।;
इलाहाबाद हाईकोर्ट से जुड़े चार वरिष्ठ न्यायाधीशों का तबादला देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में किया गया है। इन तबादलों से संबंधित अधिसूचना केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को जारी की गई, जो कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों के आधार पर हुई है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 26 मई 2025 को इन चारों जजों के तबादलों की सिफारिश की थी, जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकार कर अधिसूचना जारी कर दी है।
तबादले की सूची में जिन न्यायाधीशों के नाम शामिल हैं, उनमें जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला को दिल्ली हाईकोर्ट भेजा गया है। इन दोनों न्यायाधीशों को उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े हाईकोर्ट से देश की राजधानी के उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया है। दिल्ली हाईकोर्ट में इनकी नियुक्ति से न्यायिक प्रक्रिया को और गति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
इसके अलावा, जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में स्थानांतरित किया गया है, जो कि चंडीगढ़ में स्थित है और दोनों राज्यों की न्यायिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। वहीं, जस्टिस जयंत बनर्जी को कर्नाटक हाईकोर्ट भेजा गया है, जो दक्षिण भारत का प्रमुख उच्च न्यायालय है और बेंगलुरु में स्थित है।
इन स्थानांतरणों के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्यरत न्यायाधीशों की कुल संख्या घटकर अब 80 रह गई है, जबकि इस न्यायालय की स्वीकृत कुल क्षमता 160 न्यायाधीशों की है, जिसमें मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं। यह उच्च न्यायालय देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय माना जाता है, लेकिन समय-समय पर जजों की कमी के चलते मुकदमों के निपटारे में विलंब होता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के स्थानांतरण न केवल न्यायिक प्रशासन को संतुलित करते हैं, बल्कि विभिन्न राज्यों में विशेषज्ञता और अनुभव साझा करने का अवसर भी प्रदान करते हैं। इससे न्याय व्यवस्था अधिक समावेशी और प्रभावी बनती है।
इन तबादलों से जुड़े अन्य मामलों और न्यायपालिका की नियुक्ति प्रणाली पर भी निगाहें बनी हुई हैं, क्योंकि कॉलेजियम प्रणाली और इसके पारदर्शिता के मुद्दे हमेशा चर्चा का विषय रहे हैं।