अगर आप मंगलदोष से हैं पीड़ित तो एक बार जरूर जाएं उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर, जानें पूजा की विधि और महत्व
मंगलनाथ मंदिर एक प्राचीन मंदिर है। जो कि उज्जैन में स्थित है। इसे मंगल ग्रह का जन्मस्थान माना जाता है। इसकी उत्पत्ति के बारे में पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। जिसके मुताबिक भगवान शिव के माथे से निकले पसीने की एक बूंद के पृथ्वी पर गिरने से इस पवित्र स्थान पर शिवलिंग का निर्माण किया गया था। मंदिर का पुनर्निर्माण सिंधिया राजघराने द्वारा 1173 ईस्वी में करवाया गया था। मंगलनाथ मंदिर में मंगल दोष की पूजा होती है। यह मंदिर शिप्रा नदी के किनारे स्थित है, जिसके कारण यहां का वातावरण आध्यात्मिक और पवित्र रहता है।
पौराणिक कथा और इतिहास
ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव और अंधकासुर राक्षस के युद्ध के दौरान शिव के माथे से पसीने की एक बूंद इसी स्थान पर गिरी थी, जिससे मंगल ग्रह का जन्म हुआ। मतस्य पुराण में उज्जैन को मंगल ग्रह का जन्मस्थान बताया गया है।
मंगलनाथ पूजा का वैज्ञानिक प्रभाव
मंगलनाथ पूजा की पूजा करने से स्वास्थ्य संबंधी लाभ मिलता है।
रक्त संबंधी रोगों से मुक्ति– दरअसल मंगल ग्रह का सीधा संबंध रक्त और ऊर्जा से है, पूजा करने से स्वास्थ्य सुधरता है।
मानसिक शांति– हवन और मंत्रोच्चार से तनाव और मानसिक दबाव कम होता है।
ऊर्जा और उत्साह– पूजा से व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।
मंगल दोष की होती है पूजा
मंगलनाथ में मंगल दोष निवारण के लिए भात पूजा या मंगल दोष पूजा मंगलवार के दिन की जाती है, जो मंगल ग्रह का दिन है। यह पूजा किसी भी दिन की जा सकती है, लेकिन मंगलवार को यह अधिक शुभ मानी जाती है। यह पूजा सुबह के समय 7:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक कभी भी की जा सकती है।
शिव-रूप में की जाती है पूजा
यहां मंगल ग्रह की पूजा शिवलिंग के रूप में अर्थात भगवान शिव के स्वरूप में की जाती है।