सुप्रीम कोर्ट का आदेश: दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्ते हटाने के फैसले पर मचा विवाद

पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने इस फैसले को अपनी “सड़कों से कुत्ते हटाओ” मुहिम की जीत बताया। वहीं, उमेद फॉर एनिमल्स फाउंडेशन के संस्थापक निखिल माहेश ने इसे “बचपनाना और बिना सोचे-समझे” उठाया गया कदम कहा, क्योंकि दिल्ली और एनसीआर में इस स्तर की कार्रवाई के लिए पर्याप्त भूमि, फंड और ढांचा उपलब्ध नहीं है।;

By :  DeskNoida
Update: 2025-08-11 18:20 GMT

दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सोमवार को बड़ा विवाद खड़ा कर दिया। जहां एक ओर आरडब्ल्यूए (RWAs) ने इस फैसले का स्वागत किया, वहीं पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इसे अव्यावहारिक और अव्यवहारिक करार दिया। उनका कहना है कि यह आदेश न केवल क्रूरता को बढ़ावा देगा, बल्कि इंसानों और कुत्तों के बीच संघर्ष को भी तेज कर देगा।

पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने इस फैसले को अपनी “सड़कों से कुत्ते हटाओ” मुहिम की जीत बताया। वहीं, उमेद फॉर एनिमल्स फाउंडेशन के संस्थापक निखिल माहेश ने इसे “बचपनाना और बिना सोचे-समझे” उठाया गया कदम कहा, क्योंकि दिल्ली और एनसीआर में इस स्तर की कार्रवाई के लिए पर्याप्त भूमि, फंड और ढांचा उपलब्ध नहीं है।

मेनका गांधी ने कहा कि दिल्ली में तीन लाख से अधिक कुत्तों को हटाने के लिए करीब ₹15,000 करोड़ की आवश्यकता होगी, जो संभव नहीं है। पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने भी चेतावनी दी कि जबरन विस्थापन से अराजकता और पीड़ा बढ़ेगी।

कई संगठनों ने वैज्ञानिक समाधान के तौर पर नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रमों को मजबूत करने, अवैध पालतू जानवरों की दुकानों पर रोक और गोद लेने को बढ़ावा देने की बात कही।

वहीं, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आवारा कुत्तों को पकड़ने में बाधा डालने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट का कहना है कि यह कदम सार्वजनिक हित में है ताकि बच्चों और शिशुओं को कुत्तों के काटने और रेबीज़ से बचाया जा सके।

आरडब्ल्यूए और कई नागरिकों ने इस आदेश का समर्थन करते हुए कहा कि सड़कों को सुरक्षित बनाने और कुत्तों के हमलों से बचाव के लिए यह जरूरी है। हालांकि, पशु प्रेमियों और कुत्ता पालकों का कहना है कि आठ हफ्तों में 10 लाख आवारा कुत्तों को हटाना अव्यावहारिक है और इससे समस्या और बढ़ सकती है।

नगर निगम और विभिन्न सर्वेक्षणों के अनुसार, दिल्ली में लगभग 10 लाख आवारा कुत्ते हैं। 2022 में जहां 6,691 डॉग बाइट केस दर्ज हुए, वहीं 2023 में यह संख्या 17,874 और 2024 में 25,210 तक पहुंच गई।

दिल्ली सरकार ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही नीति बनाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू किया जाएगा, लेकिन पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कदम समाधान से ज्यादा विवाद और परेशानी लेकर आएगा।

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