मगज में लोचा है भाई: दाहिने या बाएं साइड पर निर्भर करते हैं पार्किंसंस के दिमागी लक्षण
स्विट्ज़रलैंड की जेनेवा यूनिवर्सिटी और जेनेवा यूनिवर्सिटी अस्पतालों के शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि शुरुआत में दाहिने हिस्से में दिखने वाले मोटर लक्षण (कांपना, जकड़न, धीमी गति) आने पर आगे चलकर रोगी में संज्ञानात्मक कमी और डिमेंशिया का जोखिम बढ़ता है। वहीं, बाएं हिस्से के मोटर लक्षणों के साथ मानसिक समस्याएं—जैसे चिंता, अवसाद और भावनात्मक पहचान में कमी—अधिक देखी गई हैं।;
एक नए अध्ययन से पता चला है कि पार्किंसंस रोग का पहला प्रभाव शरीर के दाहिने या बाएं हिस्से पर किस तरह पड़ता है, इससे भविष्य में होने वाली मानसिक गिरावट या मनोवैज्ञानिक लक्षणों का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
स्विट्ज़रलैंड की जेनेवा यूनिवर्सिटी और जेनेवा यूनिवर्सिटी अस्पतालों के शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि शुरुआत में दाहिने हिस्से में दिखने वाले मोटर लक्षण (कांपना, जकड़न, धीमी गति) आने पर आगे चलकर रोगी में संज्ञानात्मक कमी और डिमेंशिया का जोखिम बढ़ता है। वहीं, बाएं हिस्से के मोटर लक्षणों के साथ मानसिक समस्याएं—जैसे चिंता, अवसाद और भावनात्मक पहचान में कमी—अधिक देखी गई हैं।
‘npj Parkinson’s Disease’ जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने अप्रैल 2025 तक पिछले पचास वर्षों में प्रकाशित 80 अध्ययनों का विश्लेषण किया। इसमें मरीजों के रोग की अवधि, शुरुआती लक्षण, उपचार व मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के आंकड़े शामिल थे।
जेनेवा यूनिवर्सिटी में पोस्टडॉक्टरल रिसर्चर फिलिप वोरोज़ ने बताया, “अगर हम यह जानते हैं कि किस साइड पर शुरूआती लक्षण आए, तो मरीजों को उनके पर्सनल पार्किंसंस प्रोफ़ाइल के आधार पर विशिष्ट उपचार दिलाया जा सकता है।”
शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि मस्तिष्क की वाम और दाहिनी गोलार्ध में विभाजन (ब्रेन लैटरलाइज़ेशन) पार्किंसंस के गैर-मोटर लक्षणों का मूल्यांकन करने में महत्वपूर्ण होती है। हालांकि, विभिन्न अध्ययनों की विधियों में असंगतता के कारण मेटा-विश्लेषणात्मक निष्कर्ष निकालना सीमित रहा।