Tulsi: परंपरा, आस्था, सेहत का संगम तुलसी! राम, श्याम, कपूर या वन-आपके घर में कौन सी है?

Update: 2025-08-24 02:30 GMT

नई दिल्ली। घर के आंगन में लगी तुलसी केवल पौधा नहीं, बल्कि परंपरा, आस्था और सेहत का संगम मानी जाती है। हर किस्म की तुलसी की अपनी एक अनूठी पहचान है। कहीं यह धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र है, तो कहीं औषधीय खजाने का स्रोत। खास बात है कि केवल राम और श्याम ही नहीं, बल्कि तुलसी की कई किस्में होती हैं, जिनमें कपूर और वन तुलसी भी शामिल है। तुलसी अपनी अनूठी सुगंध और औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है।

तुलसी के चार प्रकार

1. श्याम तुलसी

श्याम तुलसी को कृष्ण तुलसी के नाम से भी जाना जाता है। इसकी पत्तियां बैगनी रंग की होती हैं, जिनका स्वाद अन्य तुलसी की तुलना में कड़वा होता है। इनका सेवन श्वास और त्वचा संबंधित विकारों में उचित माना जाता है।

2. कपूर तुलसी

कपूर तुलसी चिकित्सकीय लबों से भरपूर होती है। इसकी महक इतनी प्रबल होती है कि इससे संभावित रूप से मच्छर और कीड़े कोसों दूर रहने पर मजबूर हो जाते हैं। अन्य किसी भी तुलसी की तुलना में कपूर तुलसी अधिक औषधीय गुणों से भरपूर होती है। यही कारण है कि इस किस्म का उपयोग जानलेवा बीमारियों के इलाज के लिए सदियों से किया जाता रहा है।

3. वन तुलसी

वन तुलसी का पता लगाना बेहद चुनौती पूर्ण होता है। मुख्य रूप से यह वनों में पाई जाती है। बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में इसकी भरमार है मुख्य रूप से यह हिमालय की तलहटी में उगती है और पवित्र तुलसी की सभी किस्मों में सबसे बेहतरीन मानी जाती है। पौधे की ऊपरी पत्तियां चमकीले हरे रंग की होती हैं, जबकि निकली पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं।

4. राम तुलसी

राम तुलसी को ब्राइट तुलसी के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य रूप से यह भारत, नेपाल, दक्षिण अमेरिका और चीन जैसे देशों में पाई जाती है अन्य तुलसी की तुलना में इसका स्वाद हल्का होता है। हालांकि पत्तियों को कुचलने पर उससे तेज गंध आती है।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

मां लक्ष्मी का वास- हिंदू धर्म में तुलसी को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है, और उनके घर में होने से आर्थिक समृद्धि आती है।

भगवान विष्णु की प्रियता- यह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और उनके भोग या प्रसाद में तुलसी के पत्तों का उपयोग अनिवार्य है।

सकारात्मक ऊर्जा- जहां तुलसी होती है, वहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और नकारात्मक ऊर्जा दूर भागती है, जिससे घर में शांति और सद्भावना बनी रहती है।

मृत्यु के बाद शांति- मृत्यु के उपरांत गंगाजल में तुलसी मिलाकर मुख में डालने से मृत आत्मा को शांति मिलती है, ऐसा माना जाता है।

वैज्ञानिक और औषधीय महत्व

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना- तुलसी के पत्ते प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और विभिन्न बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं।

संक्रमण से बचाव- इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं।

पाचन में सुधार- नियमित रूप से तुलसी के पत्तों का सेवन पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में सहायक है।

तनाव और चिंता में कमी- यह तनाव और चिंता को कम करने में भी मदद करती है।

वातावरण शुद्धि- तुलसी के पौधे में ऐसे गुण होते हैं जो वातावरण को शुद्ध करते हैं। 

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