महिलाओं में साइलेंट हार्ट अटैक, जानें खतरे की घंटी और बचाव
नई दिल्ली। बदलती जीवनशैली और बढ़ते तनाव के कारण महिलाओं में भी दिल के दौरे का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। चिंता की बात यह है कि महिलाओं में इसके लक्षण अक्सर पुरुषों से अलग और 'साइलेंट' होते हैं, जिसके कारण उन्हें अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, जिससे इलाज में देरी होती है।
पुरुषों से अलग होते हैं लक्षण
विशेषज्ञों के अनुसार, जहां पुरुषों को अक्सर सीने में तेज दर्द होता है, वहीं महिलाओं को ये लक्षण महसूस हो सकते हैं:
असामान्य थकान और कमजोरी: बिना किसी खास मेहनत के भी लगातार या अचानक अत्यधिक थकावट महसूस होना।
सांस लेने में तकलीफ: आराम करते समय या हल्की गतिविधि के दौरान भी सांस फूलना।
सीने में हल्का दबाव/असुविधा: तेज दर्द के बजाय, सीने के बीच में हल्का दबाव, भारीपन या बेचैनी महसूस होना, जिसे अक्सर गैस या एसिडिटी समझा जाता है।
शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द: पीठ के ऊपरी हिस्से, गर्दन, जबड़े या बांहों में दर्द या असहजता।
ठंडा पसीना और चक्कर आना: बिना गर्मी या शारीरिक गतिविधि के अचानक ठंडा पसीना आना, चक्कर आना या बेहोशी जैसा महसूस होना।
पाचन संबंधी समस्याएं: मतली, उल्टी या पेट में दर्द।
जोखिम के प्रमुख कारण
महिलाओं में हृदय रोग के प्रमुख जोखिम कारकों में उच्च रक्तचाप (High BP), उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, मोटापा, धूम्रपान, और सबसे महत्वपूर्ण, मानसिक तनाव शामिल हैं। मेनोपॉज के बाद हार्मोनल बदलाव भी खतरे को बढ़ाते हैं।
बचाव और जागरूकता ही कुंजी
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि महिलाओं को इन 'साइलेंट' लक्षणों को पहचानना और उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। समय पर डॉक्टरी सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है। बचाव के लिए जीवनशैली में बदलाव लाएं:
स्वस्थ आहार: फल, सब्जियां और साबुत अनाज को प्राथमिकता दें।
नियमित व्यायाम: रोजाना कम से कम 30 मिनट की हल्की से मध्यम कसरत करें।
तनाव प्रबंधन: योग, ध्यान या पर्याप्त नींद के माध्यम से तनाव को नियंत्रित करें।
नियमित जांच: रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और शुगर की नियमित जांच कराएं।